युद्ध को वे दिव्य कहते हैं जिन्होंने युद्ध की ज्वाला कभी जानी नहीं है। - रामधारी सिंह 'दिनकर' बिना पैसे वाले मर्द को यह समाज रद्दी के समान समझता है। ~hindipanktiyan
Happy Diwali 🪔🎇 एक दिया उन सपनों को जो जगते जगते सो गए , एक दिया उन कदमों को जो भीड़ में चल कर खो गए। एक दिया उन अंधेरों को जो दिल में छुप कर बैठे हैं , एक दिया उन नैनों को जो चुप रह कर सब कहते हैं। एक दिया उन ज़ज्बातों को जो टूटे मन में संचित हैं , एक दिया उन मजलूमों को जो अब भी रोशनी से वंचित हैं । एक दिया ऐसा भी जलाना जिसमें ना कोई नुमाइश हो , एक दिया ऐसा भी जले जिसे सच पर मिटने की ख्वाहिश हो..! -विमल कुमार
बनके एक हादसा बाजार में आ जाएगा जो नही होगा वह अखबार में आ जाएगा चोर उचक्के की करो कद्र कि मालूम नहीं कौन कब कौन सी सरकार में आ जाएगा। ~डॉ. राहत इंदौरी
पीएम मोदी की 'तस्वीर के उस पार' कविता... तुम मुझे मेरी तस्वीर या पोस्टर में ढूढ़ने की व्यर्थ कोशिश मत करो मैं तो पद्मासन की मुद्रा में बैठा हूं अपने आत्मविश्वास में अपनी वाणी और कर्मक्षेत्र में। तुम मुझे मेरे काम से ही जानो तुम मुझे छवि में नहीं लेकिन पसीने की महक में पाओ योजना के विस्तार की महक में ठहरो मेरी आवाज की गूंज से पहचानो मेरी आंख में तुम्हारा ही प्रतिबिम्ब है ~ नरेन्द्र मोदी
चोरों का तथा डाकुओं का चोरों का तथा डाकुओं का राष्ट्रीकरण करवाने दो। बस एक बार, बस एक बार मुझको सरकार बना दो। जो बिल्कुल फक्कड़ हैं उनको राशन उधार तुलवा दूंगा जो लोग पियक्कड हैं उनके घर में ठेके खुलवा दूंगा सरकारी अस्पताल में, जिस रोगी को मिल न सका बिस्तर घर उसकी नब्ज़ छूटते ही मैं एंबुलैंस भिजवा दूंगा
उम्मीद... रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता वगर्ना शहर में "ग़ालिब" की आबरू क्या है ~मिर्जा गालिब