पंक्तियां~~


युद्ध को वे दिव्य कहते हैं जिन्होंने

युद्ध की ज्वाला कभी जानी नहीं है।

                  - रामधारी सिंह 'दिनकर'

  

   बिना पैसे वाले मर्द को यह समाज

    रद्दी के समान समझता है।

                      ~hindipanktiyan

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