लोकतंत्र

 

किसी भी,

देश के लोकतंत्र का नया अध्याय 

तानाशाही के अंत से शुरू होता है 

यानी कि, 

लोकतंत्र ख़त्म करता है तानाशाही

*

लेकिन,

लोकतंत्र भारत के संदर्भ में 

तानाशाही को ख़त्म नहीं करता

 लोकतंत्र भारत के संदर्भ में 

तानाशाही को महज़ कम करता है

*

तानाशाह, 

दानव जैसा होता है !

*

और,

भारत में इसका मुक़ाबला करने की 

कोशिश कर रहा है,

एक बीमार मानव जैसा कमज़ोर लोकतंत्र ।

*

आज,

भारत का आम आदमी 

मूलभूत सुविधाओं के लिए 

जी नहीं रहा, 

बल्कि जंग लड़ रहा है!

*

उसके पेट में रोटी नहीं है 

उसमें ताकत नहीं है 

और आप चाहते हैं कि 

वह लोकतंत्र की बात करें

तानाशाह से लड़ें !

*

हालाँकि, 

आज वही हालात हैं

जिनमें लोकतंत्र की बात की जाती है

*

मगर,

तानाशाह ने

आम आदमी का जो हाल कर रखा है 

वहाँ रोटी के आगे और कुछ दिखता ही नहीं है

*

कैसे भी करके

जीवन बसर करने की 

चुनौती इतनी बड़ी है आज कि आम आदमी

की सोच पर यहीं पूर्ण विराम लग जाता है

*

भारत में, 

तानाशाह का एक नया वेरिएंट है 

जो क्रूर होने के साथ

ही बहुत शातिर और चालाक भी है !

             ~ मुकेश 'मेघ'





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