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पहलगांव आतंकी हमला

 इतने धार्मिक (मज़हबी) मत होना  कि ईश्वर (अल्लाह) को बचाने के लिए  इंसान पर उठ जाए तुम्हारा हाथ न कभी इतने देशभक्त कि किसी घायल को उठाने को  झंडा ज़मीन पर न रख सको।

~ बसीर बद्र

 बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना, जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता               ~ बसीर बद्र 

मां पन्ना धाय की अमर कहानी....

  दिवाली है जल रहे दिप और चारो तरफ उजाला है।  लेकिन उजियारे के पीछे कुछ काला होने वाला है। हाथों में जब तलवार उठा मदिरा पीकर बनवीर चला। यूँ लगा की जैसे राजपूत कुल के उपर यो तीर चला। पन्ना माँ के पास उदय थे,  ओर पुत्र चंदन था।..…2 किंतु उसे बनवीर दुष्ट का करना अभिनंदन था।  पन्ना को था भान दुष्ट मृत्यू का रूप धरेगा। ओर उद‌यसिंह को को दूष्ट सोते ही गोरेगा। इसीलिए उसने अपने सूत के सब वस्त्र उतारे  और उन्ही वस्त्रों को सोते हुए उदय ने धारे। इतिहास गवाही देता है कि जब मृत्यू सामने आई.... राजकुंवर ने उत्तरन में छुप कर हे जान बचाई  हाई भाग्य पोषाक राजसी चंदन को भाती थी। "माँ पन्ना अपने मन में विलाप करती हुई विचार करती हैं।" हाई भाग्य पोषाक राजनी चंदन को भाती थी।  किंतु ना था धन इस कारण उसे ना दे पाती थी। आज उसे वस्त्र कुंवर के देने से अकूलाती हूं, हे बेटे..! में मात नहीं है बल्कि तेरी घाती हूं।  इतना कह कर के वे बेटे के मुख को चूम रही थी, बचपन की यादें उसके स्मृति में घुम रही थी।  आँखे छलक उठी पन्ना की बेला थी क्रंदन की  ओर आंसू की बूंद से तभी आ...

थोड़ा कुछ तो रह जाता है।

    थोड़ा कुछ तो रह जाता है।   अंतिम ख्वाहिश छूते छूते,  उम्र का दरिया बह जाता है.. अपने हाथ भले सब हो पर,  थोड़ा कुछ तो रह जाता है। दिए ने भी एक बार सुना है, सूरज बनने की ठानी थी.. सूरज का पट आते आते,  दिया अकेला रह जाता है। अंतिम ख्वाहिश छूते छूते, उम्र का दरिया बह जाता है.. अपने हाथ भले सब हो पर,  थोड़ा कुछ तो रह जाता है।...2 आज का पल है संग तुम्हारे,  तुम हो इसके जगमग तारे.. आज का उत्सव आज रहेगा,  कल तो होगा कल का प्यारे.. आज अगर कल पर टाला तो,  आज हमारा मर जाता है। अंतिम ख्वाहिश छूते छूते,  उम्र का दरिया बह जाता है। अपने हाथ भले सब हो पर,  थोड़ा कुछ तो रह जाता है। दिए ने भी एक बार सुना है,  सूरज बनने की ठानी थी.. सूरज का पट आते आते,  दिया अकेला रह जाता है। अंतिम ख्वाहिश छूते छूते,  उम्र का दरिया बह जाता है.. अपने हाथ भले सब हो पर, थोड़ा कुछ तो रह जाता है।      ~ Kavi Sandeep Dwivedi   / Hindi pravah 

महत्वपूर्ण परियोजनाएं

   महत्वपूर्ण परियोजनाएं     1. इडुक्की परियोजना - पेरियार नदी - केरल  2. उकाई परियोजना - ताप्ती नदी  - गुुजरात  3. काकड़ापारा परियोजना - ताप्ती नदी  - गुुजरात  4. कोलडैम परियोजना - सतलुज नदी  - हिमाचल प्रदेश   5. गंगासागर परियोजना  - चम्बल नदी  - मध्य प्रदेश   6. जवाहर सागर परियोजना - चम्बल नदी - राजस्थान  7. जायकवाड़ी परियोजना - गोदावरी नदी  - महाराष्ट्र   8. टिहरी बाँध परियोजना - भागीरथी नदी  - उत्तराखण्ड  9. तिलैया परियोजना - बराकर नदी  - झारखंड 10. तुलबुल परियोजना - झेलम नदी  - जम्मू और कश्मीर  11. दुर्गापुर बैराज परियोजना - दामोदर नदी  - पश्चिम बंगाल  12. दुलहस्ती परियोजना - चिनाब नदी  - जम्मू और कश्मीर  13. नागपुर शक्ति गृह परियोजना - कोराडी नदी  - महाराष्ट्र   14. नागार्जुनसागर परियोजना - कृष्णा नदी  - आन्ध्र प्रदेश  15. नाथपा झाकरी परियोजना - सतलज नदी - हिमाचल प्रदेश  

पंक्तियां.....~गुलज़ार साहब

 लैला अब नहीं थामती किसी बेरोजगार का हाथ,  मजनु को अगर इश्क है तो कमाना सीखें...!!                    ~ गुलज़ार साहब 

पंक्तियां.….(~अब्राहिम लिंकन)

  क़िताबें इन्सान को यह बताने के काम आती हैं  कि उसके मूल विचार आख़िरकार इतने नये भी नहीं हैं।           ~अब्राहिम लिंकन 

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों......(~गोपाल नीरज)

  छिप-छिप  अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है। सपना क्या है, नयन सेज पर  सोया हुआ आँख का पानी  और टूटना है उसका ज्यों  जागे कच्ची नींद जवानी  गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है। माला बिखर गयी तो क्या है  खुद ही हल हो गयी समस्या  आँसू गर नीलाम हुए तो  समझो पूरी हुई तपस्या  रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों  कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।  खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर  केवल जिल्द बदलती पोथी  जैसे रात उतार चांदनी पहने सुबह धूप की धोती  वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों! चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है। लाखों बार गगरियाँ फूटीं,  शिकन न आई पनघट पर,  लाखों बार किश्तियाँ डूबीं, चहल-पहल वो ही है तट पर,  तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों! लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है। लूट लिया माली ने उपवन,  लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,...

पंक्तियां (~मुकेश मेघ)

  आप किसानों से किसान होने का सबूत माँगिए  हम पीछे से नारा लगाएँगे "भारत माता की जय" आप विद्यार्थियों से विद्यार्थी होने का सबूत माँगिए  हम पीछे से नारा लगाएँगे "भारत माता की जय" आप नागरिकों से भी नागरिक होने का सबूत माँगिए  हम फिर पीछे से नारा लगाएँगे "भारत माता की जय" यह नया हिंदुस्तान है  यहाँ सबूत आगे रहकर सवाल करने वालों से माँगे जाते हैं,  पीछे के नारे लगाने वालों से नहीं! ताकि, सवाल करना गुनाह बन जाए  और पीछे से नारे लगाना "वतन-परस्ती"                  ~ मुकेश मेघ

माँ.........

     माँ ईश्वर को मांओं ने जिंदा रखा है माँ विश्वास की असीम धारा है  माँ पर भरोसे के बिना  ईश्वर पर भरोसा करना असम्भव है।             ~मारुत नन्दन