मां पन्ना धाय की अमर कहानी....

 

दिवाली है जल रहे दिप और चारो तरफ उजाला है। 

लेकिन उजियारे के पीछे कुछ काला होने वाला है।


हाथों में जब तलवार उठा मदिरा पीकर बनवीर चला।

यूँ लगा की जैसे राजपूत कुल के उपर यो तीर चला।


पन्ना माँ के पास उदय थे, 

ओर पुत्र चंदन था।..…2


किंतु उसे बनवीर दुष्ट का करना अभिनंदन था। 

पन्ना को था भान दुष्ट मृत्यू का रूप धरेगा।

ओर उद‌यसिंह को को दूष्ट सोते ही गोरेगा।


इसीलिए उसने अपने सूत के सब वस्त्र उतारे 

और उन्ही वस्त्रों को सोते हुए उदय ने धारे।


इतिहास गवाही देता है कि जब मृत्यू सामने आई....

राजकुंवर ने उत्तरन में छुप कर हे जान बचाई 

हाई भाग्य पोषाक राजसी चंदन को भाती थी।


"माँ पन्ना अपने मन में विलाप करती हुई विचार करती हैं।"


हाई भाग्य पोषाक राजनी चंदन को भाती थी। 

किंतु ना था धन इस कारण उसे ना दे पाती थी।


आज उसे वस्त्र कुंवर के देने से अकूलाती हूं,

हे बेटे..! में मात नहीं है बल्कि तेरी घाती हूं। 


इतना कह कर के वे बेटे के मुख को चूम रही थी,

बचपन की यादें उसके स्मृति में घुम रही थी। 


आँखे छलक उठी पन्ना की बेला थी क्रंदन की

 ओर आंसू की बूंद से तभी आँख खुली चंदन की। 


*आगे कवि की कल्पना है..... 

आंसू की बूंद से तभी आँख खुली चंदन की।

बोला- माँ क्या  कारण है तू ऐसे क्यों रोती हैं 

की बोला- माँ क्या कारण है तू ऐसे क्यों रोती हैं ।

और मुझे क्या बात है किस कारण धीरज खोती हैं।


बेचारी पन्ना ने सारा किस्सा उसे सुनाया,

चंदन ने तब अपनी माँ को ढांढस खूब बंधाया।


और कहता है कि मेवाड़ी धरती ने यदि तुमको सम्मान दिया,

तो तुमने भी न्योछावर मां अपना सर्वस्व किया है। 


तो बलिदानों की परंपरा को आगे क्यों ना आगे बढ़ाऊं,

अवसर है आया तो बलिवेदी पर मैं चढ़ जाऊं। 


की मेवाड़ी धरती को यदि तुमने सर्वस्व दिया है,

तो माता मैंने भी तो तेरा दूध पिया है। 


जन्मभूमि पर मिट जाने की चाह नहीं निकलेगी,

प्राण निकल जाएँगे मां मुख से आह नहीं निकलेगी।


अरे! कुछ ही क्षण में वह पापी बनवीर चला भी आया,

ओर पन्ना ने तब उदय सिंह का उसको पता बताया।


 हो मदिरा में चुर दृष्ट ने जब तलवार चलाई,

माँ की आँखों में सागर था. बूंद ना बाहर आई ।


की चंदन के खून से चढ़ाई तब धरती पर लाली,

अरे एक बार मेवाड धरा पर ऐसी मनी थी दिवाली ।


की कुछ क्षण पहले जो मईया की गोदी चड़े हुए थे,

उस बेटे के अभी धरा पर टुकड़े पड़े हुए थे।


 धन्य धन्य यह देश जहाँ जन्मे ऐसे बलिदानी,

 युगों युगों तक जग गाएगा इनकी अमर कहानी।


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