माँ.......

 

पिताजी गणित हैं, कठिन। 

समझ में नहीं आते, लेकिन सत्य भी वही हैं।


और माँ?

 माँ, प्रेम है, साहित्य है।

माँ, एक कहानी सुनाती है, जो कि काल्पनिक है। 

जिससे हम सीखते हैं सत्य और 

समझने लगते हैं गणित।


         ~देवेंद्र पांडेय/hindi.panktiyaan 

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