मुनव्वर राणा जीवन परिचय (#Munawwarrana)
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‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित मुनव्वर राणा भारत के लोकप्रिय शायरों में से एक माने जाते हैं। वहीं उर्दू अदब में अपनी कविताओं और गजलों को अनोखे अंदाज में बया करने वाले मुनव्वर राणा साहित्य जगत में अपना एक विशिष्ठ स्थान रखते हैं। बता दें कि उनकी ‘माँ’ पर लिखी कविता को लोगों में बहुत पसंद किया था। क्या आप जानते हैं कि उर्दू अदब में हुस्न, माशूक़, महबूब, बगावत, साकी और तरक़्क़ीपसंद इत्यादि विषयों को बहुत से रचनाकारों ने अपनी लेखनी चलाई थीं। किंतु माँ पर जो मुनव्वर राणा ने लिखा वैसा किसी ने आज तक नहीं लिखा। बता दें कि 14 जनवरी 2024 को 71 वर्ष की आयु में लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में भारत के मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। लेकिन उनकी लोकप्रिय शायरियों के लिए उन्हें दुनियाभर में हमेशा याद किया जाएगा। आइए अब हम उर्दू अदब के मशहूर शायर मुनव्वर राणा का जीवन परिचय Munawwar Rana Biography in Hindi और उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
| मूल नाम | ‘सय्यद मुनव्वर अली’ |
| उपनाम नाम | ‘मुनव्वर राणा’ (Munawwar Rana) |
| जन्म | 26 नवंबर 1952 |
| जन्म स्थान | रायबरेली, उत्तर प्रदेश |
| शिक्षा | बी. कॉम. |
| भाषा | उर्दू, हिंदी |
| विधाएँ | कविताएँ, गजल, नज़्म |
| पुरस्कार एवं सम्मान | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (2014), ‘माटी रतन सम्मान’, ‘अमीर खुसरो पुरस्कार’, ‘ग़ालिब पुरस्कार’ आदि। |
| निधन | 14 जनवरी, 2024 |
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में हुआ जन्म
उर्दू अदब के विख्यात शायर ‘मुनव्वर राणा’ का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में हुआ था। क्या आप जानते हैं कि उनका मूल नाम ‘सय्यद मुनव्वर अली’ था लेकिन साहित्य जगत में वह मुनव्वर राणा के नाम से प्रसिद्ध हुए। बता दें कि देश के विभाजन का असर उनके परिवार पर भी पड़ा था। उनके कई रिश्तेदार बंटवारे के समय मुल्क छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन उनके पिता भारत में ही रुक गए थे। वहीं मुनव्वर राणा का शुरूआती जीवन कोलकाता में बीता।
कोलकाता में की पढ़ाई
मुनव्वर राणा का बचपन और जवानी के कुछ वर्ष कोलकाता में ही बीते। वहीं कोलकाता से बी.कॉम की पढ़ाई करने के साथ साथ उनका साहित्य के क्षेत्र में भी पर्दापण हो गया था। ‘अब्बास अली ख़ान बेखुद’ और ‘वाली आसी’ का उनके जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। इसके बाद उन्होंने अपनी शायरी के जूनून से भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की।
मुनव्वर राणा की साहित्यिक रचनाएँ
मुनव्वर राणा अपनी रचनाओं में मुख्य रूप से हिंदी और अवधी शब्दों का प्रयोग किया करते थे। वहीं उनकी ज्यादातर शायरियों में प्रेम का केंद्र बिंदु ‘माँ’ होता था। मुनव्वर राणा की माँ नज़्म उर्दू अदब में अपना एक विशिष्ठ स्थान रखती हैं। यहाँ मुनव्वर राणा की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
मुनव्वर राणा की रचनाएँ
| रचनाएँ | प्रकाशन |
| कहो ज़िल्ले इलाही से | वर्ष 2001 |
| सुख़न सराय | अज्ञात |
| बग़ैर नक़्शे का मकान | वर्ष 2001 |
| कहो ज़िल्ल-ए-इलाही से | अज्ञात |
| मान (काव्य-संग्रह) | अज्ञात |
| सफ़ेद जंगली कबूतर | वर्ष 2005 |
| जंगली फूल (गजल) | वर्ष 2007 |
| चहेरे याद रहते हैं | वर्ष 2007 |
| शाहदाबा | वर्ष 2012 |
पुरस्कार एवं सम्मान
मुनव्वर राणा (Munawwar Rana Biography in Hindi) को उर्दू अदब में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- वर्ष 2012 में उर्दू अदब में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘शहीद शोध संस्थान’, उत्तर प्रदेश की ओर से ‘माटी रतन सम्मान’ से नवाजा गया था।
- वर्ष 2014 में मुनव्वर राणा की रचना ‘शहदाबा’ को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
- खुसरो पुरस्कार
- मीर तकी मीर पुरस्कार
- गालिब पुरस्कार
- डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार
- सरस्वती समाज पुरस्कार
दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन
उर्दू अदब को अपनी अनुपम रचनाओं के माध्यम से रौशन करने वाले मुनव्वर राणा अपने खास अंदाज-ए-बयां के लिए जाने जाते हैं। यहीं कारण हैं कि भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उनके लाखों-करोड़ों मुरीद हैं। किंतु 71 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से उनकी 14 जनवरी 2024 को मृत्यु हो गई। लेकिन अपनी रचनाओं विशेषकर माँ पर लिखी नज़्म के लिए वह साहित्य जगत में हमेशा याद किए जाते रहेंगे।
मुनव्वर राणा की लोकप्रिय शायरी
यहाँ भारत के विख्यात शायर मुनव्वर राणा की कुछ लोकप्रिय शायरियों (Munawwar Rana Hindi Shayari) के बारे में बताया जा रहा हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-
1. मेरे दुश्मन का बेटा है मुझे आदाब करता है
बड़े लोगों के बच्चे भी बड़े मालूम होते हैं
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