किसी भी, देश के लोकतंत्र का नया अध्याय तानाशाही के अंत से शुरू होता है यानी कि, लोकतंत्र ख़त्म करता है तानाशाही * लेकिन, लोकतंत्र भारत के संदर्भ में तानाशाही को ख़त्म नहीं करता लोकतंत्र भारत के संदर्भ में तानाशाही को महज़ कम करता है * तानाशाह, दानव जैसा होता है ! * और, भारत में इसका मुक़ाबला करने की कोशिश कर रहा है, एक बीमार मानव जैसा कमज़ोर लोकतंत्र । * आज, भारत का आम आदमी मूलभूत सुविधाओं के लिए जी नहीं रहा, बल्कि जंग लड़ रहा है! * उसके पेट में रोटी नहीं है उसमें ताकत नहीं है और आप चाहते हैं कि वह लोकतंत्र की बात करें तानाशाह से लड़ें ! * हालाँकि, आज वही हालात हैं जिनमें लोकतंत्र की बात की जाती है * मगर, तानाशाह ने आम आदमी का जो हाल कर रखा है वहाँ रोटी के आगे और कुछ दिखता ही नहीं है * कैसे भी करके जीवन बसर करने की चुनौती इतनी बड़ी है आज कि आम आदमी की सोच पर यहीं पूर्ण विराम लग जाता है * भारत में, तानाशाह का एक नया वेरिएंट है जो क्रूर होने के साथ ही बहुत शातिर और चाला...
Comments
Post a Comment