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Showing posts from December, 2023

मृत्यु और हँसी

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  किताब -- मृत्यु और हँसी किताब -- मृत्यु और हँसी लेखक -- प्रदीप अवस्थी  अभी खरीदें --  अभी खरीदें 🔗 Shop Now    Shop Now स्वयं लेखक के शब्द👇 पहली किताब। पहला उपन्यास। ख़बर यह है दोस्तों कि मेरा पहला उपन्यास 'मृत्यु और हँसी' राजकमल प्रकाशन से आ रहा है। अब जब यह आ रहा है तो लगता है कि मेरे ज़िन्दा होने का सबूत है यह किताब। मैं हिंदी साहित्य के किनारों पर कहीं बसा हूँ। वहीं बसा रहना चाहता हूँ। खुद से जुड़े रहने के तरीके के रूप में लिखना शुरू हुआ और ख़ुद से जुड़े रहना ही मुझे ज़िन्दा रखता है। मैं सोचता हूँ और पाता हूँ कि मेरी जड़ें कहीं नहीं हैं। इसलिए सब कुछ मुझे अपने भीतर ही ढूँढ़ना पड़ता है। मैं कभी किसी शहर को अपना नहीं कह पाया, किसी गाँव को भी नहीं। कुछ लोग हैं बस मेरे अपने। इतने अपने कि रोज़ रात को सोने से पहले उनका चेहरा आँखों के सामने आकर ठहर जाता है। मेरी हर किताब में माँ होगी या किरदार होगा किसी माँ का। पिता कहीं-कहीं होंगे जैसे जीवन में रहे और उनके खो जाने का दुःख होगा। मुझे लगता रहा कि देर हो गयी। मैं लेट हो गया। इसलिए बहुत तेज़ दौड़ना होगा। दौड़ा भ...

राग दरबारी

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किताब --- राग दरबारी लेखक --- श्री लाल शुक्ल   अभी खरीदें....  अभी खरीदें Shop Now.... Shop Now ..... ये भी रोचक है कि श्रीलाल शुक्ल ने कुल 25 किताबें लिखी  है लेकिन 'राग दरबारी' उनके लिए वो मील का पत्थर बन गई जो अब चाह के भी पाया नहीं जा सकता. उनकी पहली किताब ‘अंगद का पांव’ भी मशहूर हुई थी.  इस उपन्यास में व्यंग्य के सहारे ग्रामीण भारत और सरकारी तंत्र का जो खाका श्रीलाल शुक्ल ने खींचा है, उसकी बराबरी नहीं हो सकती. साल 2011 में जब श्रीलाल शुक्ल का निधन हुआ तो हिंदी के बड़े आलोचक और हिंदी के प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह ने कहा कि 'राग दरबारी' जैसे उपन्यास के लेखक श्रीलाल शुक्ल को इतनी देर से ज्ञानपीठ पुरस्कार देने के लिए ज्ञानपीठ अकादमी को पश्चात्ताप करना होगा. श्रीलाल शुक्ल ने  'राग दरबारी ' से पहले भी बहुत कुछ लिखा ही है और उसके बाद भी लिखते रहे लेकिन शुक्ल की दो दर्जन से ज्यादा की किताबों में भी कैसे 'राग दरबारी' अलग तरह से चीन्ही गयी , पहचानी गयी , ये उस किताब की ख़ूबी है. वक्त के साथ इसे सोलह भाषाओं में छापा गया और हर साल एक से ज्यादा संस्करण आए. यही इसकी...

ठीक तुम्हारे पीछे

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 पुस्तक समीक्षा -- ठीक तुम्हारे पीछे  "ठीक तुम्हारे पीछे" अभिनेता और लेखक मानव कौल का कहानी संग्रह है। कहानी संग्रह में कुल बारह कहानियां हैं।इन कहानियों में एक गहराई है। सब कुछ सतही तौर पर पकड़ में नहीं आता। हर कहानी में शुरुआत, मध्य, अंत, रोचकता, थ्रिलर वाला अंत ढूंढने की कोशिश करेंगे तो आप निराश होंगे। अगर आपकी चेतना का एक विशेष स्तर नहीं है, यदि आपका बौद्धिक स्तर कमजोर है तो आप कहानियों को समझ नहीं पाएंगे। यानी यह कहानियां मास ऑडियंस के लिए न होकर एक ख़ास पाठक वर्ग के लिए हैं।   किताब "ठीक तुम्हारे पीछे" की कुछ कहानियों को छोड़ दें तो बाक़ी कहानियां बहुत आसानी से हर समकालीन समाज में रहने वाले, जीने वाले मनुष्य से संबंधित दिखाई पड़ती हैं। मानव कौल की इन कहानियों की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह आतंकित नहीं करतीं। किसी एक विचारधारा का प्रचार नहीं करतीं, कोई क्रांति, बदलाव का झंडा बुलंद नहीं करतीं। यह सिर्फ़ और सिर्फ़ आज के समाज और इसमें रह रहे लोगों की मनोदशा पर बात करती हैं। एक नौकरीपेशा युवक, एक शादीशुदा युवक, एक तलाक़ की तरफ़ बढ़ रहे दंपति के सामने क्या संघर्ष ...

गुनाहों का देवता

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  लेखक - धर्मवीर भारती अभी खरीदे -  Shop Now संक्षेप में: धर्मवीर भारती के इस उपन्यास का प्रकाशन और इसके प्रति पाठकों का अटूट सम्मोहन हिन्दी साहित्य-जगत् की एक बड़ी उपलब्धि बन गये हैं।  दरअसल, यह उपन्यास हमारे समय में भारतीय भाषाओं की सबसे अधिक बिकने वाली लोकप्रिय साहित्यिक पुस्तकों में पहली पंक्ति में है। गुनाहो का देवता मध्यम वर्गीय भारतीय समाज के एक साधारण परिवार की कहानी है। कहानी तीन मुख्या किरदारों के इर्द गिर्द ही घूमती हैं। यह है सुधा, चन्दर और पम्मी. प्रेम, समर्पण और समाज के बंधनो की कहानी है गुनाहो का देवता. साधारण भाषा में लिखी गयी यह पुस्तक समाज का दर्पण दिखती है. लेखक ने इतने सरल दृष्टान्त बनाये हैं की किरदारों से एक जुड़ाव सा महसूस होने लगता है। समीक्षा -  यह किताब मुझे एक पुस्तक प्रेमी द्वारा सुझाई गयी थी। उसे यह सुनके पहले तो बड़ा आश्चर्य हुआ की मैंने न तो इस पुस्तक के बारे में सुना था और न पढ़ा था। उसका कहना था की मेरे जैसे पुस्तक प्रेमी को ऐसी किताब जरूर पढ़नी चाहिए। लगभग उसी समय सौभाग्यवश मेरी एक दोस्त दिल्ली पुस्तक मेला में गयी थी। मैंने यह किताब...

* जो बीत गई सो बात गई *

* जो बीत गई सो बात गई * जो बीत गई सो बात गई जीवन में एक सितारा था माना वह बेहद प्यारा था वह डूब गया तो डूब गया अम्बर के आनन को देखो कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अम्बर शोक मनाता है जो बीत गई सो बात गई जीवन में वह था एक कुसुम थे उसपर नित्य निछावर तुम वह सूख गया तो सूख गया मधुवन की छाती को देखो सूखी कितनी इसकी कलियाँ मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली पर बोलो सूखे फूलों पर कब मधुवन शोर मचाता है जो बीत गई सो बात गई जीवन में मधु का प्याला था तुमने तन मन दे डाला था वह टूट गया तो टूट गया मदिरालय का आँगन देखो कितने प्याले हिल जाते हैं गिर मिट्टी में मिल जाते हैं जो गिरते हैं कब उठतें हैं पर बोलो टूटे प्यालों पर कब मदिरालय पछताता है जो बीत गई सो बात गई मृदु मिटटी के हैं बने हुए मधु घट फूटा ही करते हैं लघु जीवन लेकर आए हैं प्याले टूटा ही करते हैं फिर भी मदिरालय के अन्दर  मधु के घट हैं मधु प्याले हैं जो मादकता के मारे हैं वे मधु लूटा ही करते हैं वह कच्चा पीने वाला है जिसकी ममता घट प्यालों पर जो सच्चे मधु से जला हुआ ...